स्वास्थ्य पर निबंध Essay on health in hindi

स्वास्थ्य पर निबंध Essay on health in hindi 

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स्वास्थ्य पर निबंध

प्रस्तावना Preface 

स्वास्थय को अंग्रेजी में हेल्थ (Health) कहा जाता है, जो एंग्लो सेम्सन शब्द हेल्थ से बना हुआ है, जिसका मतलब होता है "स्वास्थ्यता की दशा" इसीलिए साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं,

कि स्वास्थ्य का मतलब उस अवस्था से होता है, जिसमें शरीर और मन दोनों सुचारू रूप से किसी कार्य को आसानीपूर्वक कर सकते हो। साधारण तौर पर स्वास्थय एक ऐसा पहलू होता है, जिसे बहुत से लोग परिभाषित करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं,

कियोकि साधारण व्यक्ति शरीर को निरोग होना ही स्वास्थय समझता है, जबकि शरीर का निरोग होना स्वास्थय नहीं कहलाता है क्योंकि यह  स्वास्थ को परिभाषित करने हेतु व्यापकता का बोध नहीं कराता, इसलिए स्वास्थय को परिभाषित करने के लिए कई वैज्ञानिकों पर्यावरणविदों ने विभिन्न परिभाषाएँ दी है।

स्वास्थ्य का अर्थ और परिभाषा Meaning of health and definition 

स्वास्थ्य को अनेक शिक्षाविदों द्वारा अलग-अलग प्रकार से परिभाषित किया गया है, जिसे हम निम्न प्रकार से समझते हैं:- 

  1. स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है, कि एक कमजोर आदमी जिसका शरीर या मन कमजोर होता है, वह कभी भी एक मजबूत काया का मालिक नहीं बन सकता।
  2. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार :- शरीर को मात्र रोगों से बचा कर रखना और अशक्त ना होना ही स्वास्थ्य नहीं होता है, स्वास्थ्य से अभिप्राय संपूर्ण भौतिक मानसिक और सामाजिक अवस्था से रहता है।
  3. जे.एस. विलियम कहते हैं, कि स्वास्थ्य जीवन का वह महत्वपूर्ण पहलु होता है, जो व्यक्ति को अधिक समय तक जीवित रहने और सर्वोत्तम प्रकार की सेवा के लिए योग्य बनाता है।
  4. वेबस्टर ने कहा है, कि स्वस्थ शरीर और आत्मा में स्वास्थ्य तथा तथा निरोगता की आस्था होती है, यह शारीरिक रोग अथवा दर्द का अभाव कहलाता है।

स्वास्थ्य के प्रकार Type of Health 

स्वास्थ्य के विभिन्न प्रकार हैं, किंतु विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य के निम्न तीन प्रकार प्रमुख रूप से माने गए हैं, जिन्हें हम निम्न प्रकार से समझते हैं

शारीरिक अथवा भौतिक स्वास्थय Physical or material health

शारीरिक अथवा भौतिक स्वास्थ्य को समझना सबसे सरल होता है, क्योंकि इसका अर्थ उस अवस्था से होता है जिस अवस्था में शरीर के सभी अंग और तंतु एक परस्पर पूर्व सामंजस्य स्थिति बनाए हुए रहते हैं।

शरीर की त्वचा साफ-सुथरी और चमकदार होती हैं, आंखें कांतिमय बाल संतुलित सुगठित शरीर पर्याप्त भूख लगना मलाशय मूत्राशय का नियमित रूप से कार्य करना तथा ज्ञान इंद्रियों द्वारा शरीर के सही क्रियान्वयन से होता है।

मानसिक स्वास्थ्य Mental health

मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ उस स्थिति से माना जाता है जिस स्थिति में मनुष्य का बाहरी दुनिया से सही तालमेल होता हो। साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं,

कि एक उत्तम मानसिक स्वास्थ्य वाला व्यक्ति वह व्यक्ति होता है जो अपने आसपास के लोगों वातावरण के साथ ठीक प्रकार का सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता रखता हो।

सामाजिक स्वास्थ्य Social health

सामाजिक स्वास्थ्य से आशय उस स्थिति से माना जाता है, जिसमें व्यक्ति अपने आपको समाज के प्रति उदार समाज के प्रति योग्य बना सके और समाज में रहकर एक उत्तम जीवन प्राप्त करके समाज में एक आनंदित माहौल उत्पन्न कर सके।

सामाजिक स्वास्थ्य व्यक्ति वह व्यक्ति माना जाता है, जो प्रेमपूर्वक सभी से अच्छा तालमेल रखें और एक अच्छे समाज के निर्माण में अपनी अहम भूमिका का निर्वाहन कर सके। सामाजिक स्वास्थ्य के अंतर्गत मनुष्य अपने और परिवार के सुख साधनों को जुटाकर शांतिपूर्वक वातावरण में रहता है और उनके लिए भी ऐसा ही वातावरण बनाने के लिए हमेशा कार्यरत भी रहता है।

स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक Factors affecting health

मनुष्य का शरीर स्वयं में एक दुनिया माना जाता है, जिसका संपर्क बाहरी वातावरण से हमेशा बना रहता है, किंतु यह बाहरी वातावरण स्वास्थ्यवर्धक भी होता है, जबकि हानिकारक भी होता है, इसीलिए विभिन्न ऐसे कारक हैं, जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, जिन्हें हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं:- 

आनुवंशिकी :- यह सभी लोग जानते हैं, कि किसी भी शिशु की शरीर की रचना माता के गर्भ से ही निर्धारित होती है और इसे किसी भी परिस्थिति में किसी भी प्रयोग या विज्ञान के द्वारा बदला नहीं जा सकता।

चिकित्सा विज्ञान ने ऐसी कई बीमारियों को खोज निकाला है, जो अनुवांशिक बीमारी हैं, अर्थात माता के गर्भ से ही उत्पन्न होती है, इस प्रकार कह सकते हैं, कि मनुष्य के शरीर एवं स्वास्थ्य पर कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव अनुवांशिकी का भी पड़ता है।

गर्भ के समय माताओं के शरीर में कई प्रकार की कमियाँ होने पर विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ मनुष्य के शरीर अर्थात पैदा होने वाले शिशु के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती हैं, जबकि एक स्वस्थय माता-पिता हमेशा स्वास्थ्य संतान को जन्म देते हैं।

बाहरी वातावरण :- शरीर का बाहरी वातावरण भी मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। मनुष्य के चारों ओर फैला हुआ वह आवरण जैसे कि जलवायु मौसम मकान कूरा करकट आदि भी मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं,

जबकि जैविक वातावरण के अंतर्गत जीव जंतु मच्छर मक्खी सूक्ष्मजीव स्वास्थ्य के लिए उत्तरदाई माने जाते हैं। मनुष्य का सामाजिक वातावरण भी मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार होता है, जिसके अंतर्गत हमारी संस्कृति परंपरा या राजनैतिक व्यवस्था आदि को रखा गया है।

रहन-सहन का तरीका :- मनुष्य का रहन-सहन का तरीका उसका आचरण उसकी आदतें यह सभी भी मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती हैं, क्योंकि मनुष्य की जो खराब आदतें होती हैं, जैसे कि धूम्रपान शराब का सेवन आदि मनुष्य के शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर देती हैं और मनुष्य अस्वस्थ्य हो जाता है,

किंतु इसके विपरीत मनुष्य अच्छा आचरण करता है सुबह व्यायाम करता है, अच्छा खाना खाता है और सभी प्रकार की अच्छी आदतें अपनाता है तो वह एक अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करता है।

स्वास्थ्य सेवाएँ :- स्वास्थ्य सेवाओं का अर्थ ऐसी सेवाएँ प्रदान करने से होता है, जिनसे स्वस्थय मनुष्य स्वस्थय समाज का निर्माण हो सके। इसके अंतर्गत सभी प्रकार की छोटी-मोटी बीमारियों का यथोचित पहचान करना और उनका निदान आता है,

जबकि इसके अंतर्गत ऐसी कई बीमारियों का निदान भी किया जाता है, जो बच्चों में रोग उत्पन्न करने के लिए जानी जाती हैं। ऐसी बीमारी से बचने के लिए बच्चों को विभिन्न प्रकार के टीके दिए जाते हैं, इनमें टाइफाइड आदि से बचाव के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं।

स्वास्थ्य का महत्व Importance of health

मनुष्य के जीवन में स्वस्थय का सर्वाधिक महत्व है, क्योंकि स्वस्थय व्यक्ति ही जीवन को बहुत ही आनंदित तरीके से भोगता है, यदि व्यक्ति स्वस्थ हैं, तो वह अपने सभी प्रकार के कार्य करने में सक्षम होता है और स्वस्थ व्यक्ति ही समाज की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यदि छात्र तथा छात्राएँ स्वस्थ हैं,

तो वह अपना अध्ययन सुचारू रूप से जारी रखती हैं, उन्हें सभी प्रकार की चीजें जल्दी समझ में आती हैं और इसके विपरीत यदि उनका स्वास्थ्य उत्तम नहीं है तो वह एक अच्छे विद्यार्थी के रूप में नहीं जाने जा सकते, इसीलिए मनुष्य के जीवन की बाल्यावस्था में स्वस्थय का सबसे अधिक महत्व होता है

क्योंकि बाल्यावस्था ही मनुष्य की वह जीवन अवस्था होती है, जो उसे भावी जीवन में कुछ कर सकने के लिए योग्य बनाती है। उत्तम शरीर वाला व्यक्ति सभी प्रकार की क्रियाएँ करने में सक्षम होता है। वह मेहनत का कार्य भी करने के लिए सक्षम होता है,

क्योंकि उसका शरीर स्वस्थ है, जबकि जो व्यक्ति अस्वस्थ होते हैं, वह मेहनत का काम नहीं कर पाते हैं और कार्य करते करते जल्दी थक जाते हैं और आलस तथा अनिद्रा के शिकार होते रहते हैं। ऐसे मनुष्य समाज परिवार तथा देश के लिए बोझस्वरूप होते हैं,

इसीलिए सभी व्यक्तियों को स्वस्थ के महत्व को समझना चाहिए तथा स्वस्थ रहने के नियम और सिद्धांतों का अनुप्रयोग करते हुए अपने शरीर के स्वस्थ को उत्तम बनाए रखना चाहिए, तभी वह एक उत्तम स्वास्थ्य परिवार स्वास्थ्य समाज और स्वास्थ्य देश का निर्माण कर पाएंगे।

निष्कर्ष Conclusion 

स्वास्थ्य शरीर सभी व्यक्तियों के लिए बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि कहा जाता है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है और अगर स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क दोनों हैं, व्यक्ति किसी भी प्रकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए योग्य होते हैं.

इसीलिए अगर पुरुष अपने जीवन में आनंदित और सुखी रहना चाहता है, तो उसे सबसे पहले अपने शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाना होगा, तभी जाकर वह अपने परिवार समाज तथा देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

दोस्तों यहाँ पर आपने इस लेख में स्वास्थ्य पर निबंध (Essay on health) पढ़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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